क्रिया
क्रिया- जिस शब्द के द्वारा किसी कार्य के करने या होने का बोध होता हैए वह क्रिया कहलाती है। जैसे- बालक दूध पी रहा है ।
क्र्रिया के भेद- ’कर्म की दृष्टि से ’
क्रिया के दो भेद होते है –
- सकर्मक क्रिया 2. अकर्मक क्रिया
1.सकर्मक क्रिया -जिन क्रियाओ का फल कर्म पर पड़ता है अर्थात ्जहाॅ कर्म होता है वहाॅ सकर्मक क्रिया होती है। जैसे- बालक गृहकार्य करते है।
2.अकर्मक क्रिया- जिन क्रियाओ के साथ उनका कर्म नही होता वे अकर्मक क्रिया कहलाती है। जैसे – राधा हॅसती है।
क्रिया की दृष्टि से क्रिया के भेदोपभेद-
1.सामान्य क्रिया – जहाॅ केवल एक सामान्य क्रिया का प्रयेाग होता है। जैसे – वह खेला, वह नहाया, वे आए आदि।
2.संयुक्त क्रिया – जो दो या दो से अधिक क्रियाएॅ साथ – साथ आती है वहाॅ संयुक्त क्रिया होती है। जैसे – वे गाना गा चुके है, हम रामायण पढने लगे है।
3.प्रेरणार्थक क्रिया – जहाॅ कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी और से कार्य करवाने की प्रेरणा देता है वहाॅ प्रेरणार्थक क्रिया होती है। जैसे – वह नौकर से झाडू लगवाती है।
4.नामधातु क्रिया – जो क्रिया शब्द संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दो से बनते हैए वे नामधातु क्रिया के अन्तर्गत आते है। जैसे – ललचाना, धमकाना, पुचकारना आदि।
5.पूर्वकालिक क्रिया – जब किसी क्रिया के बाद कोई दूसरी क्रिया हो वहा प्रथम को पूर्वकालिक क्रिया की श्रेणी मे रखा जाता है। जैसे – बालक अभी सोकर उठा है। बाबा चाय पीकर चले गए।